ब्रम्ह मुहुर्त में उठे डोकरा, दिनड़ो उगावे खेता में बेपार होया जागे छोकरा, मनड़ो लगावे दोस्ता में!!
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clature of maru pradesh
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कैसी हो दोस्त तुम तो उड़ जाती हो पर ये अंग्रेज़ो के बिचाये कांटे तो हमे चुभते है! ऊपर से कंटीले तार, करंट के झटके, लोहे की जालियां बहुत परेशान है हम तो आजकल! ओरण के चारो ओर ढाणियां बन गई ओर खेत खेत इंसान ने घर बना लिये जिससे कुतों की संख्या भी बढ गई है ओर रात भर बिजली के बल्ब जलते रहते हैं हमारी तो जिंदगी हराम हो गई है! तालाबों पर भी देवताओं के मंदिरों में पहले बिजली नहीं थी पर अब रातभर चाईना की डेकोरेशन लाईटे चमचमाती है पानी पीने भी नहीं जा सकते वहाँ तो! मेरे हाल भी कम खराब नहीं है हिरण बाबू, आसमान में खींचे गये हाईटेंशन तार,पवन चक्की के पंखें मोबाइल टावरो की तंरगे, केमिकल वाला पानी ओर शौक से उडती पतंगो की डोर से हजारों पंछी मर रहे हैं! हम सब तो आंदोलन ओर धरना प्रदर्शन भी किसके सामने करे बहन!हक तो हमारा भी किसानों ने बहुत मारा है पर अपने हक ना छिन जाये उसके डर से सब धरना प्रदर्शन पर बैठे है !